Raebareli (अभय सिंह)
रायबरेली डिपो की बसों से यात्री मुश्किलों भरा सफर कर रहे हैं ।मौजूदा समय में 63 में से करीब 20 बसे ऐसी हैं जिनके संचालन में सबसे अधिक परेशानी हो रही है। हालात ऐसे हैं कि खराबी आने पर बसे वर्कशॉप में बनती हैं और दोबारा उनका संचालन शुरू किया जाता है, लेकिन वह गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहीं हैं।कई घटनाएं होने के बाद भी जिम्मेदार इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हर दिन यात्रियों की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चालक परिचालक ने बसों में आ रही खराबी के लिए वर्कशॉप के फोरमैन और मैकेनिक को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन को भेजे गए पत्र में उन्होंने बसों में खराबी आने पर फोरमैन की जिम्मेदारी तय करने की बात कही है। जब दूसरे वाहन से यात्रियों को भेजना पड़ा, सरेनी-भोजपुर-रायबरेली रूट पर प्रतिदिन एक बस चलती है। 7 मई को डिपो की बस रायबरेली से भोजपुर के लिए निकली भोजपुर से करीब 4 किलोमीटर पहले बस का सॉफ्ट खराब हो गया।चालक ने इसकी सूचना डिपो को दी। बस में बैठी सवारियों का पैसा वापस किया गया,इसके बाद उन्हें दूसरे वाहनों में गंतव्य के लिए जाना पड़ा।डिपो से शाम को मकैनिक पहुंचा तो बस में आई खामी दूर की जा सकी। इसी प्रकार एक बस 13 मई को खराब हो गई। 3 दिन बस वर्कशॉप में खड़ी रही। उसे ठीक करने के बाद वर्कशॉप से गाड़ी दुरुस्त होने का प्रमाण पत्र दिया गया, जिसके बाद 17 मई को बस स्टेशन में सवारियां भरकर लखनऊ के लिए निकली। बछरावां में बस में फिर खराबी आ गई। इस पर चालक परिचालक ने लिखित आपत्ति भी जताई कि जिस खराबी के लिए बस 3 दिनों से खड़ी रही और उसे ठीक करने का पत्र भी दिया गया, फिर भी बस 30 किलोमीटर भी नहीं चल सकी। दौड़ती बस में लग चुकी है आज करीब 5 दिन पहले बस स्टेशन से हैदरगढ़ के लिए निकली बस में इन्हौना के पास आग लग गई थी। यात्रियों ने किसी तरह बस से बाहर निकल कर अपनी जान बचाई थी। इस मामले में ARM भी मौके पर पहुंचे थे। इसमें प्रथम दृष्टया फोरमैन की लापरवाही सामने आई थी। इस पर एक फोरमैन के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई की गई थी।